पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 64.69% मतदान दर्ज किया गया है, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक प्रतिशत है। यह आंकड़ा न सिर्फ वोटिंग रिकॉर्ड तोड़ता है बल्कि सियासी संकेतों के लिहाज़ से भी अहम है, क्योंकि बिहार की राजनीति में लंबे समय से यह धारणा रही है कि 60% से ऊपर वोटिंग सत्ता परिवर्तन का संकेत होती है।
इस बार की बढ़ी वोटिंग CIR (Comprehensive Electoral Roll Revision) प्रक्रिया के बाद हुई है, जिसमें फर्जी और डुप्लिकेट वोटरों को हटाकर मतदाता सूची को नया रूप दिया गया। माना जा रहा है कि इससे मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी और मतदान में रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी देखी गई।
इतिहास पर नज़र डालें तो जब-जब वोटिंग 60% से कम रही, तब नीतीश कुमार सत्ता में लौटे, और जब 60% से ऊपर गई, तब लालू यादव या उनका गठबंधन मजबूत हुआ। 2005 में 45.85%, 2010 में 52.73% और 2020 में 57.29% वोटिंग के बीच एनडीए की जीत हुई थी। जबकि 2015 में 56.91% मतदान पर महागठबंधन ने सरकार बनाई थी। अब 64.69% वोटिंग के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा है — क्या इस बार भी इतिहास खुद को दोहराएगा?

