बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल की सियासत इस बार एक अनोखी मिसाल देख रही है। जहां अक्सर यह इलाका धार्मिक ध्रुवीकरण और कटुता की खबरों में रहता है, वहीं आफताब आलम और कंचन दास की दोस्ती राजनीति को इंसानियत का नया चेहरा दे रही है। दोनों की यह दोस्ती 30 साल पुरानी है — एक मुसलमान, दूसरा हिंदू — लेकिन साथ रहना, साथ पहनना और एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़ा रहना इनकी पहचान बन चुकी है।
आफताब आलम इस बार प्राणपुर विधानसभा सीट से एआईएमआईएम के उम्मीदवार हैं, जबकि कंचन दास सिर्फ समर्थक नहीं, बल्कि उनके स्टार प्रचारक बनकर हर सभा और रैली में मौजूद रहते हैं। दोनों एक ही छत के नीचे परिवार समेत रहते हैं और अक्सर एक जैसी पोशाक पहनते हैं। इलाके में लोग कहते हैं – “अगर आफताब नीला कुर्ता पहनता है तो कंचन भी वही रंग पहनता है।” यह रिश्ता सिर्फ कपड़ों या धर्म से नहीं, बल्कि भरोसे और भाईचारे से बना है।
प्राणपुर की जनता इस जोड़ी को “सियासत में मोहब्बत की पहचान” कहकर बुला रही है। जहां वोट की राजनीति अक्सर समाज को बांटती है, वहीं आफताब-कंचन की जोड़ी यह साबित कर रही है कि दोस्ती और विश्वास हर मजहब से ऊपर है। सीमांचल में यह जोड़ी अब एक मानवता का प्रतीक बन चुकी है।

